Adhyay 1
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न च श्रेयोऽनुपश्यामि हत्वा स्वजनमाहवे ।
न काङ्क्षे विजयं कृष्ण न च राज्यं सुखानि च ॥
Translation in Hindi :
तथा युद्ध में स्वजन-समुदाय को मारकर कल्याण भी नहीं देखता । हे कृष्ण ! मैं न तो विजय चाहता हूँ और न राज्य तथा सुखों को ही ॥31॥
Translation in English :
And he does not even see welfare by killing his own community in war.
O Krishna! I want neither victory nor kingdom and happiness only. -
किं नो राज्येन गोविन्द किं भोगैर्जीवितेन वा ।
येषामर्थे काङ्क्षितं नो राज्यं भोगा: सुखानि च ॥
त इमेऽवस्थिता युद्धे प्राणांस्त्यक्त्वा धनानि च । आचार्या: पितर: पुत्रास्तथैव च पितामहा: ॥Translation in Hindi :
हे गोविंद! हमें ऐसे राज्य से क्या प्रयोजन है अथवा ऐसे भोगों से और जीवन से भी क्या लाभ है ? हमें जिनके लिए राज्य, भोग और सुखादि अभीष्ट हैं ॥32॥
वे ही ये सब धन और जीवन की आशा को त्यागकर युद्ध में खड़े हैं। गुरुजन, ताऊ-चाचे, लड़के और उसी प्रकार दादे, ॥33॥Translation in English :
Oh Govinda ! What purpose do we have from such a state or what is the benefit of such enjoyments and life ?
We are the ones for whom kingdom, enjoyment and happiness are desired.
They are standing in the war giving up all this money and hope of life. Teachers, aunts and uncles, boys and likewise grandfathers, -
मातुला: श्वशुरा: पौत्रा: श्याला: सम्बन्धिनस्तथा ।
एतान्न हन्तुमिच्छामि घ्नतोऽपि मधुसूदन ॥
अपि त्रैलोक्यराज्यस्य हेतो: किं नु महीकृते । निहत्य धार्तराष्ट्रान्न: का प्रीति: स्याज्जनार्दन ॥Translation in Hindi :
मामे, ससुर, पौत्र, साले तथा और भी संबंधी लोग हैं। हे मधुसूदन! मुझे मारने पर भी अथवा तीनों लोकों के राज्य के लिए ॥34॥
भी मैं इन सबको मारना नहीं चाहता, फिर पृथ्वी के लिए तो कहना ही क्या है ? हे जनार्दन! धृतराष्ट्र के पुत्रों को मारकर हमें क्या प्रसन्नता होगी ? ॥35॥Translation in English :
There are uncles, father-in-law, grandson, brother-in-law and many more relatives.
Oh Madhusudan! even after killing me or for the kingdom of the three worlds.
Even I do not want to kill all of them, then what is there to say about the earth ?
O Janardan ! What will be our pleasure in killing the sons of Dhritarashtra ? -
पापमेवाश्रयेदस्मान् हत्वैतानाततायिन:।
तस्मान्नार्हा वयं हन्तुं धार्तराष्ट्रान्स्वबान्धवान् ।
स्वजनं हि कथं हत्वा सुखिन: स्याम माधव ॥Translation in Hindi :
इन आततायियों को मारकर तो हमें पाप ही लगेगा।
अतएव हे माधव ! अपने ही बान्धव धृतराष्ट्र के पुत्रों को मारने के लिए हम योग्य नहीं हैं। क्योंकि अपने ही कुटुम्ब को मारकर हम कैसे सुखी होंगे ?Translation in English :
By killing these terrorists, we will incur (suffer) sin.
Therefore, O Madhav ! We are not qualified to kill the sons of Dhritarashtra, our own brothers. Because how we will be happy by killing our own family ? -
यद्यप्येते न पश्यन्ति लोभोपहतचेतस: ।
कुलक्षयकृतं दोषं मित्रद्रोहे च पातकम् ॥
कथं न ज्ञेयमस्माभि: पापादस्मान्निवर्तितुम् । कुलक्षयकृतं दोषं प्रपश्यद्भिर्जनार्दन ॥Translation in Hindi :
यद्यपि लोभ से भ्रष्टचित्त हुए ये लोग कुल के नाश से उत्पन्न दोष को और मित्रों से विरोध करने में पाप को नहीं देखते ॥37॥
तो भी हे जनार्दन! कुल के नाश से उत्पन्न दोष को जानने वाले हम लोगों को इस पाप से हटने के लिए क्यों नहीं विचार करना चाहिए ? ॥38॥Translation in English :
Although these people, corrupted by greed, do not see the guilt resulting from the destruction of the clan and the sin in opposing friends.
Even so, O Janardan ! Why should we, who know the guilt resulting from the destruction of the clan, not think to get away from this sin ? -
कुलक्षये प्रणश्यन्ति कुलधर्मा: सनातना: ।
धर्मे नष्टे कुलं कृत्स्नमधर्मोऽभिभवत्युत ॥
Translation in Hindi :
कुल के नाश से सनातन कुल-धर्म नष्ट हो जाते हैं तथा धर्म का नाश हो जाने पर सम्पूर्ण कुल में पाप भी बहुत फैल जाता है ॥39॥
Translation in English :
With the destruction of the clan, the eternal clan-dharma is destroyed and when the religion is destroyed, the sin also spreads greatly in the entire family.
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अधर्माभिभवात्कृष्ण प्रदुष्यन्ति कुलस्त्रिय: ।
स्त्रीषु दुष्टासु वार्ष्णेय जायते वर्णसङ्कर: ॥
Translation in Hindi :
हे कृष्ण ! पाप के अधिक बढ़ जाने से कुल की स्त्रियाँ अत्यन्त दूषित हो जाती हैं और हे वार्ष्णेय ! स्त्रियों के दूषित हो जाने पर वर्णसंकर उत्पन्न होता है ॥40॥
Translation in English :
O Krishna ! Due to the excess of sin, the women of the family becomes very polluted and O Varshneya ! Varna (which are subdivided into thousands of jatis) hybrid arises when women become corrupt.
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सङ्करो नरकायैव कुलघ्नानां कुलस्य च ।
पतन्ति पितरो ह्येषां लुप्तपिण्डोदकक्रिया: ॥
Translation in Hindi :
वर्णसंकर कुलघातियों को और कुल को नरक में ले जाने के लिए ही होता है । लुप्त हुई पिण्ड और जल की क्रिया वाले अर्थात श्राद्ध और तर्पण से वंचित इनके पितर लोग भी अधोगति को प्राप्त होते हैं ॥41॥
Translation in English :
Varnasankar is meant only to take the Kulgathis and the Kuls to Hell. Those who have lost the body and the action of water, that is, their ancestors who are deprived of Shradh and Tarpan, also get degraded.
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दोषैरेतै: कुलघ्नानां वर्णसङ्करकारकै: ।
उत्साद्यन्ते जातिधर्मा: कुलधर्माश्च शाश्वता: ॥
Translation in Hindi :
इन वर्णसंकरकारक दोषों से कुलघातियों के सनातन कुल-धर्म और जाति-धर्म नष्ट हो जाते हैं ॥42॥
Translation in English :
Sanatan clan-dharma and caste-religion of the Kulghattis are destroyed by these varna sankarkarkar faults.
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उत्सन्नकुलधर्माणां मनुष्याणां जनार्दन ।
नरकेऽनियतं वासो भवतीत्यनुशुश्रुम ॥
Translation in Hindi :
हे जनार्दन ! जिनका कुल-धर्म नष्ट हो गया है, ऐसे मनुष्यों का अनिश्चितकाल तक नरक में वास होता है, ऐसा हम सुनते आए हैं ॥43॥
Translation in English :
O Janardan ! We have come to hear that people, whose family religion has been destroyed, such human beings live in hell indefinitely.
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अहो बत महत्पापं कर्तुं व्यवसिता वयम् ।
यद्राज्यसुखलोभेन हन्तुं स्वजनमुद्यता: ॥
Translation in Hindi :
हा ! शोक ! हम लोग बुद्धिमान होकर भी महान पाप करने को तैयार हो गए हैं, जो राज्य और सुख के लोभ से स्वजनों को मारने के लिए उद्यत हो गए हैं ॥44॥
Translation in English :
Ha ! Mourning ! We, being intelligent, have become ready to commit great sins, who are ready to kill our loved ones out of greed for kingdom and happiness.
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यदि मामप्रतीकारमशस्त्रं शस्त्रपाणय: ।
धार्तराष्ट्रा रणे हन्युस्तन्मे क्षेमतरं भवेत् ॥
Translation in Hindi :
यदि मुझ शस्त्ररहित एवं सामना न करने वाले को शस्त्र हाथ में लिए हुए धृतराष्ट्र के पुत्र रण में मार डालें तो वह मारना भी मेरे लिए अधिक कल्याणकारक होगा ॥45॥
Translation in English :
If Dhritarashtra's son with weapons in his hands kills me in the battle, who is unarmed and not facing me, then that kill will also be more beneficial for me.
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सञ्जय उवाच ।
एवमुक्त्वार्जुन: सङ्ख्ये रथोपस्थ उपाविशत् । विसृज्य सशरं चापं शोकसंविग्नमानस: ॥Translation in Hindi :
संजय बोले- रणभूमि में शोक से उद्विग्न मन वाले अर्जुन इस प्रकार कहकर, बाणसहित धनुष को त्यागकर रथ के पिछले भाग में बैठ गए ॥46॥
ॐ तत्सदिति श्रीमद्भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायां योगशास्त्रे श्रीकृष्णार्जुनसंवादेऽर्जुनविषादयोगो नाम प्रथमोऽध्यायः।।Translation in English :
Sanjay said – Arjuna, who was in mourning in the battlefield, said thus, leaving the bow with the arrow and sat in the back of the chariot.
ॐ तत्सदिति श्रीमद्भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायां योगशास्त्रे श्रीकृष्णार्जुनसंवादेऽर्जुनविषादयोगो नाम प्रथमोऽध्यायः।।